पानीपत – फर्जी बाप पकड़ा गया, फर्जी बेटा फरार

0
218

सुमित /पानीपत  – आज पानीपत की तहसील में फर्जी बाप बन फर्जी बेटे के नाम प्लाट की डीड ट्रांसफर करने आये फर्जी बाप को आधार कार्ड में लगे अंगूठे के निशान से मैच ना होने के कारण धर दबोचा लेकिन इस बीच फ्राड पकड़े जाने की भनक लगते ही ट्रांसफर डीड में गवाह बना आरोपी का मालिक व् फर्जी बेटा समेत अन्य आरोपी मोके से फरार हो गए। तहसीलदार ने फर्जी बाप बने आरोपी को पुलिस के हवाले किया इससे तहसील के अधिकारी कम्प्यूटर आपरेटर  की सूझबूझ  बजह से एक बड़े फ्राड में संलिप्त होने  बच  गए। आरोपी को तहसीलदार शिकायत पर पुलिस मोके पर गिरफ्तार कर आगे की कार्यवाही के लिए अपने साथ ले गयी।

हालांकि डीड ट्रांसफर के पेपर प्रमाणित करने वाले वकील को बार एसोसिएशन उसका पक्ष जानने  के लिए बार एसोसिएसन के सदस्य अपने साथ  ले गए।  अब पुलिस की जांच में इस मामले की  परते खुलने से कई अन्य आरोपी भी इस फर्जीवाड़े की जद में आएंगे।

गौरतलब है कि आज पानीपत की तहसील में आरोपी के ब्यान अनुसार गुरदीप नाम का शख्स जिसके यहां  राजकुमार (फर्जी बाप ) खराद के मैकेनिक के रूप में काम  करता है आरोपी के अनुसार मालिक गुरदीप ने कहा की तहसील में चलकर आपको एक अंगूठा लगाना है और कोई पूछे तो अपना नाम राकेश बताना है। तहसील में जिस प्लाट की ट्रासफर डीड करवाई जानी थी उसकी पहले से कोर्ट से डिग्री राकेश के नाम से हुई है और अंकित के नाम जिसे राकेश का पुत्र बताया गया हे के नाम डीड ट्रांसफर की जानी थी। आरोपी राजकुमार जिसका एक हाथ पहले से ही फ्रेक्चर है अपने मालिक के कहने पर अंकित का फर्जी  तहसील पहुंचा। तहसील में  डीड ट्रांसफर से संबंचित सारे पेपरों को एक वकील द्वारा सर्टिफाइड कर भ्र्ष्ट तरिके से जमा करवाकर उसकी मार्किंग करवा कर डीड टोकन प्राप्त कर लिया था। ज्यो ही लगभग 3 और 4 बजे बीच ट्रांसफर डीड पेपर कम्यूटर आपरेटर के पास पहुंचे तो सभी कार्यवाही पूरी करने के बाद फाइनल कार्यवाही  लिए ट्रांसफर डीड के साथ लगाए आधार कार्ड से अंगूठे के प्रिंट मिलाये तो वह उससे मैच नहीं कर रहे थे तो नंबरदार जरिये फर्जी बाप को पकड़ कर उससे उसका आधार कार्ड  पास उस समय नहीं था और उसने बता दिया की ट्रांसफर डीड  लगा आधार उसका नहीं है इस प्रकार सारे फर्जीवाड़े  खुलासा हुआ और फर्जी बाप सलाखों के पीछे पहुँच गया।

फर्जी ट्रांसफर की बात जैसे ही तहसील में फैली तो 395 वर्गगज के प्लाट को गुरुद्वारे की जगह बताने वाले सिख यूथ फेडरेशन के सदस्य भी तहसीलदार के दफ्तर में पहुँच गए। जैसे जैसे मामले की पर्ते खुलनी शुरू हुई ऐसे लगने लगा की तहसील में करोड़ो रूपये के  प्लाट को ट्रांसफर कराने वाले सभी पक्ष फर्जी बनकर फर्जीवाड़ा करने के  पहुंचे थे जिसमे फर्जी बाप ,  नाम ट्रांसफर कर था और गवाह भी फर्जी जो खुद आरोपी के मालिक हैं तरफ जिस प्लाट को ट्रांसफर करवा रहे थे वो भी उनका अपना नहीं था सबकुछ फर्जी था। अगर आधार रजिस्ट्री के वक्त जरूरी ना किया होता तो इस तरह के फर्जीवाड़े पकड़ में नहीं आते।