HC रिपोर्ट में खुलासाः गायत्री को जमानत देने के लिए जजों और वकीलों के बीच हुई थी 10 करोड़ की डील

0
235

लखनऊ  – उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को बलात्कार के एक मामले में मिली जमानत पर विवाद पैदा हो गया था. अब एक जांच के बाद सामने आया है कि प्रजापति को साजिश रचकर जमानत दी गयी थी, जिसमें एक वरिष्ठ जज के भी शामिल होने की बात कही जा रही है. खबरों की मानें तो प्रजापति को जमानत देने के लिए 10 करोड़ रुपये की वसूली की गयी थी. यह चौंकाने वाला खुलासा इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक जांच के बाद सामने आया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने प्रजापति को जमानत मिलने की जांच के आदेश दिये थे. इस जांच में संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों में जजों की पोस्टिंग में हाई लेवल भ्रष्‍टाचार की बात निकल कर आयी है. इस तरह की अदालतें बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों की सुनवाई करती हैं. अपनी रिपोर्ट में जस्टिस भोसले ने बताया है कि अतिरिक्त जिला और सेसन जज ओपी मिश्रा 7 अप्रैल को रिटायर होने से ठीक तीन सप्ताह पहले ही पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) जज के रूप में तैनात किये गये थे. जज ओपी मिश्रा ने ही गायत्री प्रजापति को 25 अप्रैल को बलात्कार के मामले में जमानत दी थी. ओपी मिश्रा की नियुक्ति नियमों की अनदेखी करते हुए और अपने काम को बीते एक साल से ‘अच्छी तरह काम करने वाले’ एक जज को हटाकर की गयी थी I

इंटेलिजेंस ब्यूरो ने जज की पोक्सो पोस्टिंग में घूसखोरी की बात कही है. रिपोर्ट के मुताबिक गायत्री प्रजापति को 10 करोड़ रुपये लेकर जमानत दी गयी थी. इस रकम से पांच करोड़ रुपये उन तीन वकीलों के बीच बांटे गये जो मामले में दलाल की भूमिका निभा रहे थे बाकी के पांच करोड़ रुपये पोक्सो जज (ओपी मिश्रा) और उनकी पोस्टिंग संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में करने वाले जिला जज राजेंद्र सिंह को दिये गये I

आपको बता दें कि जिला जज राजेंद्र सिंह से पूछताछ की जा चुकी है. राजेंद्र सिंह को पदोन्नत कर हाई कोर्ट में तैनात किया जाना था लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनका नाम वापस ले लिया है और आगे की प्रक्रिया लंबित रखी गयी है. अपनी गोपनीय रिपोर्ट में जस्टिस भोसले ने कहा है कि 18 जुलाई 2016 को पोक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत राठौर की तैनाती की गयी थी और वह काफी अच्छा काम कर रहे थे. उन्हें अचानक से हटाने और उनके स्थान 7 अप्रैल 2017 को ओपी मिश्रा की पोस्को जज के रूप में तैनाती के पीछे कोई औचित्य या उपयुक्त कारण नहीं था. मिश्रा की तैनाती तब की गयी जब उनके रिटायर होने में मुश्किल से तीन सप्ताह का वक्त बचा था. यहां उल्लेख कर दें कि अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापित के खिलाफ बलात्कार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज किया था जिसके बाद उन्हें 15 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था. 24 अप्रैल को उन्होंने जज ओपी मिश्रा की अदालत में जमानत की अर्जी दी और उन्हें मामले की जांच जारी रहने के बावजूद जमानत दे दी गयी थी I