कुल्लू – शीशे के घर में रहने वालों को दूसरों के घर पत्थर नहीं फैंकने चाहिए : महेश्वर सिंह

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कौशल/कुल्लू – पूर्व सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह ने स्थानीय विधायक सुंदर ठाकुर को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि शीशे के घर में रहने वाले दूसरों के घरों में पत्थर नहीं फैंकते। उन्होंने कहा है कि सुंदर ठाकुर दूसरों के घर पत्थर नहीं फैंकने चाहिए, यदि हाल यही रहा तो कहीं बाद में पछताना न पड़े। उन्होंने उम्र में बड़ा होने के नाते सुंदर ठाकुर को नसीहत देते हुए कहा है कि अब तो वे विधायक बन गए हैं और अब उन्हें अभद्र भाषा का प्रयोग छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायक को यह अधिकार नहीं है कि बिना तथ्यों से किसी पर गंभीर आरोप लगाए जाएं। उन्होंने कहा कि विधायक ने विधानसभा में नियम 61 के अंर्तगत जो वैष्णों माता मंदिर का मामला उठाया और जो अभद्र भाषा का प्रयोग किया है उसकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। वे यहां परिधि गृह कुल्लू में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि
बिना तथ्यों की जानकारी के इस तरह के गंभीर आरोप लगाना किसी को शोभा नहीं देता है। महेश्वर सिंह ने कहा कि विधायक सुंदर ठाकुर ने विधानसभा में कहा है कि वैष्णों माता मंदिर में बाबा द्वारा सारे अनैतिक कार्य किए जाते हैं। यही नहीं विधायक ने विधानसभा में कहा कि कुछ लोगों की हत्याएं हुई हैं उसमें भी बाबे का हाथ है। उन्होंने विधायक से निवेदन किया है कि यदि यह आरोप लगाए हैं तो उन्हें सिद्ध भी किया जाए।

उन्होंने कहा कि विधायक को मालूम होना चाहिए कि यह एक धार्मिक संस्था है न कि महात्मा की नीजि संपत्ति। 1962 में स्वामी सेवक दास आईएस की नौकरी छोडक़र गुफ ा में रहने आए और मिट्टी के तेल के दीयों की रोशनी जलाकर दिन-रात काम किया। वहीं, गीता मां जो अखाड़ा बाजार की रहने वाली हैं विवेकानंद की पुस्तकें पढ़ कर सन्यासी बनीं और 1974 से मंदिर की सेवा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 1962
में जब यह मंदिर बना था तब विधायक ने शायद संसार में आंखे भी नहीं खोली थीं। उन्होंने कहा कि विधायक को पता होना चाहिए कि भू-संरक्षण अधिनियम का जन्म 1980 में हुआ है और कें द्र सरकार ने प्रावधान रखा है कि भू-संरक्षण अधिनियम के जन्म से पूर्व जितने भी कब्जे हैं उन्हें रेगुलर किया जाए। पूर्व लोकसभा सांसद व कूल्लू सदर के पूर्व विधायक महेश्वर सिंह ने कहा कि पिछले कल एक विधायक ने सदन में सत्र के दौरान नियम 61 के अंतर्गत एक चर्चा उठाई जो कि वैष्णो माता मंदिर कुल्लू के बारे में थी। अभद्र वचन और आरोप सदन के भीतर लगाये हैं। अगर हिम्मत है तो सदन के बाहर लगा कर देख लें। इस प्रकार से बाबा है ये बार-बार कहना शायद उनको यह ज्ञान ही नहीं की वैष्णो माता मंदिर का इतिहास क्या है जिस महात्मा के बारे में टिप्पणी की है वह केवल मेनेजर में रूप में कार्य करता है।  उन्हें याद है कि 1962 में सेवानिवृत आईएस ऑफि सर यहां बैठे और सन्यास लिया था। गुफ ा में रहे। कहा गया ये नाजायज है, यहाँ सारे अनैतिक कार्य होते हैं, यहां तक आरोप लगा दिया कि 4 लाशें मिली उन सबके पीछे ये बाबा है। क्या इस प्रकार के निराधार और गंभीर आरोप लगाने का किसी को अधिकार है।  2007 जुलाई में जो असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल फ ॉरेस्ट ऑफ ीसर थे उन्होंने  इसको मंदिर के नाम करने के लिए डाईवर्शन ऑफ़  फ ॉरेस्ट लिखा है दशमलव 518 हैक्टेयर लिखा है और स्वयं भी देखा है। ये कब्ज़ा इस पत्र में बताया गया है कब्जा 2007 में भी था। ये कंजरवैशन एक्ट से पहले लगा है और 1980 से पहले का है। लिखा  है इसमें झाडिय़ां थी और 3-4 पेड़ कायल के थे वो सारी झडिय़ां बाबा ने साफ़  की  और मंदिर बनाना शुरू किया और भक्तों ने मदद की। वर्तमान समय में एरिया अगर इससे ज्यादा है तो निश्चित रूप से यहां नाजायज कब्ज़ा है।

जहां तक मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे हंै इनका आदर करना हमारी संस्कृति है। कोई अगर अनैतिक कार्य हो रहा है तो निश्चित रूप से कहने का अधिकार है लेकिन भाषा तो सभ्य हो। उन्होंने गोविंद ठाकुर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वो भी उनकी तरह स्पष्टवादी है। उनके होटल के बारे में भी कुछ टिप्पणियां की है।