Karnal :लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारो पर रहेगी कमेटियों की पैनी नजर – एसडीएम

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करनाल – लोकसभा चुनाव की तैयारियों के चलते उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी विनय प्रताप सिंह के निर्देश पर गुरूवार को लघु सचिवालय के सभागार में चुनाव के प्रशिक्षण अधिकारी एवं एसडीएम घरौण्ड़ा गौरव कुमार ने, चुनाव के दौरान उम्मीदवार की ओर से किए जाने वाले खर्चे का आंकलन करने के लिए गठित भिन्न-भिन्न कमेटियों के सदस्यो को प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान उनकी क्या-क्या ड्यूटी रहेगी, इस बारे विस्तार से बताते हुए उनके द्वारा पूछे गए सवालो का भी समाधान किया।
उन्होंने चुनाव ड्यूटी के दो मुख्य भाग बताए, जिनमें आदर्श आचार संहिता की जानकारी और उसकी पालना तथा चुनाव खर्चे की मॉनिटरिंग करना है। चुनाव आयोग की ओर से आदर्श आचार संहिता चुनाव घोषणा से ही शुरू हो जाती है और यह सब पर लागू होती है, ताकि कोई भी व्यक्ति अथवा उम्मीदवार अपनी पावर का गलत इस्तेमाल ना करे और उसके द्वारा कोई अनैतिक कार्य ना हो। एक उम्मीदवार द्वारा चुनाव में जितने भी खर्चे किए जाते हैं, वह सब के सब चुनाव खर्चे में आते हैं। गठित कमेटियां उनकी मॉनिटरिंग करती हैं और किए गए खर्चो को उम्मीदवार के खर्चे में जोड़ते हैं। चुनाव आयोग की ओर से प्रत्येक उम्मीदवार के लिए चुनाव खर्च की सीमा 70 लाख रूपये निर्धारित की गई है। यदि कोई इससे ज्यादा करता है, तो उसका कृत्य आपराधिक श्रेणी में आएगा। चुनाव के बाद उम्मीदवारों को 30 दिन के अंदर-अंदर आर.ओ. को अपना खर्च का हिसाब देना अनिवार्य है, यदि वह ऐसा नही करता तो वह अगले 3 साल तक चुनाव लडऩे के अयोग्य हो सकता है।
उन्होंने बताया कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा-127 (ए) में प्रावधान है कि किसी भी पोस्टर, पम्पलेट, हैंडबिल या लीफलेट पर प्रिंटिंग पै्रस के मालिक का नाम, पता व प्रिंट की गई प्रतियों की संख्या लिखना जरूरी है। यह उम्मीदवार के खर्च में जुड़ेगा और प्रिंटिंग मैटिरियल प्रिंट करने से पहले सम्बंधित रिटर्निंग अधिकारी से लिखित में अनुमति लेनी होगी। उन्होंने बताया कि भारत चुनाव आयोग द्वारा नागरिको की सुविधा के लिए पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए सी-विजिल नाम से एक नया एप भी जारी किया है। इसके माध्यम से कोई भी नागरिक चुनाव में शराब बांटने, पैसे या अन्य कोई प्रलोबन या प्रैशर डालने अथवा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत कर सकता है। निर्धारित 100 मिनट के अंदर-अंदर मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा समाधान निश्चित किया गया है।
उन्होंने बताया कि चुनाव खर्च के लिए भारत चुनाव आयोग की ओर से दो तरह के पर्यवेक्षक, जनरल ऑब्जर्वर और एक्सपेंडीचर ऑब्जर्वर लगाए जाते हैं। इसी तरह एमसीएमसी कमेटी, पेड न्यूज पर अपनी नजर रखेगी और उसका खर्चा उम्मीदवार के खर्च में जुड़ेगा। इलैक्ट्रोनिक मिडिया पर प्रचार से पहले सम्बंधित उम्मीदवार को रिटर्निंग अधिकारी से लिखित में अनुमति लेनी होगी। सोशल मिडिया के माध्यम से प्रचार के लिए भी एमसीएमसी कमेटी से अनुमति लेनी पड़ेगी, जिसके अध्यक्ष उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी हैं। विडियो निगरानी टीम, जनसभा की विडियोग्राफी करेगी और उसकी एक सी.डी. तैयार करवाएगी। इसी प्रकार उडऩदस्ते भी बनाए जाएंगे। एक चुनाव क्षेत्र में कम से कम तीन उडऩदस्ते रहेंगे। स्टैटिक सर्विलियंस टीम का कार्य नाके लगाना रहेगा। कोई भी उम्मीदावर चुनाव प्रचार के दौरान अपने साथ 50 हजार से ज्यादा कैश नही ले जा सकता, स्टार प्रचारक के लिए इसकी सीमा 1 लाख रूपये तक है। कम्पलेंट मॉनिटरिंग सेल पर शिकायतें दर्ज होंगी। उम्मीदवार या स्टार प्रचारक के काफिले में एक समय में 10 से अधिक प्रचार वाहन नही होने चाहिए। अगर कोई उम्मीदवार विडियो वैन से प्रचार करना चाहता है तो उसकी अनुमति राज्य निर्वाचन अधिकारी से लेनी पड़ेेगी। नामांकन से एक दिन पहले सभी उम्मीदवारो को अपना-अपना नया बैंक अकाउंट खुलवाना होगा, इसकी सूचना रिटर्निंग अधिकारी को देनी होगी। बैंक से लेन-देन का सारा रिकॉर्ड एक रजिस्टर में रखना होगा। उम्मीदवार जनसभा करने से पहले उसकी अनुमति भी आर.ओ से लेगा। इसके लिए आर.ओ. राजनीतिक दलो के प्रतिनिधियों को जनसभा में प्रयुक्त लाउड स्पीकर, कुर्सियां, टैंट इत्यादि के रेट देंगे।