नैनीताल  – वैज्ञानिकों ने की चतुष्कोणीय बहुरूपीय क्वेजार खोज

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रिपोर्ट – कान्ता पाल/नैनीताल – नैनीताल आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दुनिया के खगोलविदों के संगठन जीएआईए यानी गुरुत्वाकर्षण लेंस वर्किंग ग्रुप ने जनपद के देवस्थल में लगी एशिया की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी प्रकाशीय दूरबीन-डॉट यानी देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप और यहीं प्रस्तावित 4 मीटर व्यास की आईएलएमटी दूरबीन सहित दुनिया की कई जमीन और अंतरिक्ष में लगी दूरबीनों की मदद से चतुष्कोणीय बहुरूपीय क्वेजार की खोज की है। इसे मनुष्यों एवं तथा मशीन आधारित एआई यानी संवर्धित बुद्धि की मदद से इंसान और मशीन की अनूठी जुगलबंदी की एक बड़ी खोज भी माना जा रहा है। इस अध्ययन में एरीज की शोध छात्रा प्रियंका जालान ने बताया पिछले केवल डेढ़ वर्ष से चल रहे इस शोध अध्ययन में पृथ्वी से अरबों प्रकाश वर्ष दूर स्थित पिंडों के अध्ययन में सहायता मिलेगी। इस अध्ययन से ब्रह्मांड के अंतिम छोर का आकलन भी हो सकेगा। विशाल आकाशगंगाओं के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा एक क्वेजार की चार छवियां यानी चतुष्कोणीय बहुरूपीय क्वेजार प्राप्त करना दुर्लभ होता है। वर्ष 1985 में पहला चतुष्कोणीय प्रतिबिंब खोजा गया था। इसके बाद पिछले चार दशकों में करीब 50 चतुष्कोणीय बहुरूपीय क्वेजार या क्वैड्स खोजे गए हैं। डेढ़ वर्ष में किये गए अध्ययन से क्वैड्स की संख्या में 25 फीसद की वृद्धि हो गयी है। इस अध्ययन में 20 देशों के वैज्ञानिक भी शामिल हैं।