भारत-PAK के बीच बॉर्डर पर लगाई जाएगी ड्रैगन फेंसिंग

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जोधपुर –  थार के रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर 32 किलोमीटर लंबे इलाके में अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर की तर्ज पर अब ड्रैगन फेंसिंग की जाएगी। बता दें कि थार के रेगिस्तान में जैसलमेर जिले के शाहगढ़ बल्ज क्षेत्र में रेत के टीले आंधियों की वजह से रातों-रात गायब हो जाते हैं। ऐसे में वहां फेंसिंग हमेशा गिर जाती है। इस वजह से यहां से घुसपैठ रोकने में बीएसएफ को मुश्किल होती है। रेगिस्तान में फेंसिंग गिरने से रोकने का तरीका तलाशने के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट्स ने इस इलाके का कई बार दौरा किया, लेकिन कोई पुख्ता नतीजा नहीं निकला। बॉर्डर सिक्युरिटी से जुड़ी पार्लियामेंटरी कमेटी ने पिछले साल इस इलाके का जायजा लिया था। कमेटी का मानना है कि शाहगढ़ बल्ज इलाके के 32.5 किलोमीटर के बॉर्डर एरिया में मौजूदा फेंसिंग कारगर नहीं है।

केंद्र ने पार्लियामेंटरी कमेटी की रिपोर्ट पर सहमति जताई है। सरकार ने सीपीडब्ल्यूडी के एक्सपर्ट्स से इस तरह की फेंसिंग की स्टडी कर इसे यहां लगाने के तरीकों पर विचार करने को कहा है।
बता दें कि राजस्थान की पाकिस्तान से सटे 1037 किलोमीटर लंबे बॉर्डर को 1996 में फेंसिंग करके सील किया जा चुका है, लेकिन शाहगढ़ बल्ज इलाके में यह कारगर नहीं हो पाई है। शिफ्टिंग फेंसिंग को सेंड ड्रैगन कहा जाता है। इसमें 15 फीट ऊंची फेंसिंग की जाती है।  इसमें जमीन के अंदर कोई कंस्ट्रक्शन नहीं किया जाता है। पूरी फेंसिंग हवा में खड़ी रहती है, लेकिन सतह को हमेशा छूती रहती है। इसके नीचे से निकलना बेहद मुश्किल है। रेतीले टीलों के शिफ्ट होने पर कई बार यह फेंसिंग उनके साथ ही शिफ्ट होती रहती है। अगर फेंसिंग शिफ्ट नहीं होती तो इसे मशीन की मदद से रेत के नए टीलों पर आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है।
अमेरिका ने मेक्सिको से सटे अपने बॉर्डर पर 10 किलोमीटर लंबे रेगिस्तानी इलाके में ऐसी फेंसिंग का काम शुरू किया है। बीएसएफ के राजस्थान फ्रंटियर के डीआईजी रवि गांधी का कहना है कि फिलहाल इस इलाके में सिंगल फेंसिंग है। ऐसे में, यहां खासी चौकसी बरती जाती है। साथ ही, फेंसिंग के नीचे गिरते ही तुरंत इसकी मरम्मत की जाती है।